जीने के अंदाज बदले
जीने के अंदाज बदले
कोरोना महामारी ने
मेरी क्या
सभी की जिंदगीयों में
कुछ न कुछ परिवर्तन तो
लाया ही है
किसी के ऊपर इसका कम प्रभाव तो
किसी पर शायद थोड़ा ज्यादा लेकिन
हर कोई
कभी न कभी इसकी चपेट में
आया तो है
परिवार के एक सदस्य को भी
कुछ हो जाये तो
उसका परिणाम भुगतते तो
सभी हैं
शरीर हो चाहे कितना
बलवान
पैसे से भले ही था कोई कितना
मजबूत
पक्का घर
सारी सुविधाओं का सामान
इस महामारी ने कुछ नहीं देखा
अपने शिकंजे में सबको
जकड़ा
अधिकतर को निगल लिया
अपना शिकार बनाया
कौन सा ऐसा घर होगा
परिवार होगा जहां
इसके कारण मौत न हुई हो
इसके खौफ से कौन अछूता रहा
होगा
इससे बचने के लिए
कड़े नियमों का सबने
पालन किया होगा
इस महामारी ने तो
लोगों के जीने के अंदाज ही
बदल दिये
घर से बैठकर भी कुछ काम
हो सकते सुचारु रूप से
इस नई कार्यशैली का जन्म
हुआ जो
कुछ हद तक सफल भी है
क्यों जाये कोई अपनी
कार्यस्थली पर
तैयार हो
घर से निकले
ट्रैफिक जाम में घंटों फंसे
समय बर्बाद करे
इससे अच्छा तो घर बैठकर
ऑनलाइन काम न करे
शिक्षा के क्षेत्र में पर
पड़ा इसका बुरा असर लेकिन
यह भी एक बुरा फेज था
सीखा गया बहुत कुछ पर
अब हो रहा धीरे धीरे बेअसर
जिंदगी जीने के नये दृष्टिकोण
भी उभर कर देखा जाये तो
सामने आये हैं
कम लोगों को जुटाने पर भी
हो जाते काम
पैसे की होती बचत
समय बर्बाद होता नहीं
नये विचार दिमाग में
सबके आयें हैं
बेमकसद बाहर
भीड़भाड़ वाली जगहों पर
घूमना फिरना कम हुआ
फिजूलखर्ची कम हुई
घर में सब मिलकर रहे
थियेटर में मूवी न
देखकर
घर पर ही बैठकर कुछ
कलात्मक कार्य करें
सबने मिलकर खाना बनाया
साथ बैठकर खाया
पड़ोसियों को भी बुलाया
जिंदगी का लुत्फ
मौत के साये में भी
कभी कभार
कहीं कहीं आया
इस महामारी की कहानी
को तो बच्चा बच्चा
जानता है
सुनाने लगे तो किस्सों का
कोई अंत नहीं होगा
दुख के पहाड़ भी टूटे
सिर पर मौत मंडराई
लोगों की नौकरी छूटी
घर बार उजड़े
अपने छूटे
कहर भी टूटकर बरपाया
इस कोरोना की
महामारी ने
जो नुकसान हुआ
जो क्षति हुई
जो कुछ पीछे छूटा
उसे वापिस पाया नहीं जा
सकता लेकिन
इससे जिसने
अपने अनुभव के आधार पर जो
कुछ सीखा
उस शिक्षा को अपनाकर
उसे प्रयोग में लाकर
अपने जीवन में उतारकर
आजमाकर
वह जीवन के मार्ग पर
और अधिक सशक्त होकर
आगे जरूर बढ़ सकता है।