जीने का सलीका
जीने का सलीका
तुमने जीवन में आकर मेरे मुझे जीने का सलीका सिखा दिया,
चले हर कदम साथ मेरे हमसफ़र बनकर मुझे जीना सिखा दिया,
मरने का सलीका न आया हमें जीने की तुमने हमें वजह जो दे दी,
पतझड़ को सावन में बदलकर हर दुख में मुस्कुराना सिखा दियाI