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Chirag Sanghvi

Drama Fantasy

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Chirag Sanghvi

Drama Fantasy

जी कर रहा है

जी कर रहा है

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आज ना जाने क्यों

हद से गुज़र जाने को जी कर रहा है,

किसी को देकर किसी से प्यार

पाने को जी कर रहा है।

जी कर रहा है कि लुटा दे किसी पर

अपनी सारी खुशियां,

तो आज बस किसी के होठों की मुस्कुराहट

बन जाने को जी कर रहा है।


ख़ोया है किसी को आज,

उसी को फ़िर से पाने को जी कर रहा है,

उसी को आज फिर सताने को जी कर रहा है।

जी कर रहा है थोड़ा सा रुलाने को उसको,

तो उसे थोड़ा हँसाने को जी कर रहा है,

आज किसी के लिए फना हो जाने को जी कर रहा है।


किसी की यादों से दिल बहलाने को जी कर रहा है,

आज बस अकेले बैठे हुए मुस्कुराने को जी कर रहा है।

बहुत ही दूर हो चला हूं मैं सबसे,

आज फिर सबके करीब आने को जी कर रहा है।


बिगड़ा भी था अपनी मनमानी से,

तो अब ख़ुद ही संवर जाने को जी कर रहा है,

किसी की एक हँसी की ख्वाहिश में

टूट कर बिखर जाने को जी कर रहा है।

जिया भी तो ऐसे कि

किसी का हो नहीं पाया,

अब तो बस किसी के लिए

मर जाने को जी कर रहा है।


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