जिद्दी दिल
जिद्दी दिल
अजनबी-सा साहिल पर,
हर पल बिखरती लहरें खोजता है|
ये दिल भी बड़ा जिद्दी है,
अपना-सा दिल खोजता है।
कभी उलझे रिश्ते याद करता,
तो कभी बिखरे सपने संजोता है।
कभी यादों के गर्त में गोते लगाता,
तो कभी अतीत की परछाइयों में सिमट जाता है।
कभी अपनी थकी-हारी जिंदगी से घबराता,
अपनी धूँधली-सी परछाई नापता है।
सुनसान तंग गलियों में
अपनी बेगानी-सी हलचल खोजता है।
वाकई ये दिल बड़ा जिद्दी है
हर रूह, हर जर्रे में अपना-सा ही दिल खोजता है
अपना-सा ही दिल खोजता है।