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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Inspirational

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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Inspirational

झूठी है काया, झूठी है माया

झूठी है काया, झूठी है माया

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लख चौरासी फेरा फेरकर, तू इस दुनिया में आया, 

झूठी है काया, झूठी है माया, क्यूँ तूने मन को लगाया? 


न कर रंग रोगन चेहरे को, एक दिन मुरझा जायेगा,

न कर गर्व तेरे यौवन पर, वह भी निस्तेज हो जायेगा,

सुंदर काया की माया में क्यूँ, डुबकर तू क्यूँ फंसाया? 

झूठी है काया, झूठी है माया, कब तू ये समझ पायेगा. 


मिट्टी का खिलौना है और मिट्टी में ही मिल जायेगा,

सात दिन की जिंदगी में तेरा, अंत एक दिन आयेगा, 

बहा दे तू मानवता की धारा, सत्कर्म ही साथ आयेगा,

झूठी है काया, झूठी है माया, कब तू आंखें खोलेगा। 


तन मन को तू शुद्ध कर ले, आत्मा जागृत हो जायेगा,

भक्तिरस का तू पान कर ले, भवसागर पार हो जायेगा,

"मुरली" छोड़ दे सब माया को, खुदा तुझे अपनायेगा, 

झूठी है काया, झूठी है माया, जनम सफल हो जायेगा।



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