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Rekha Singh

Inspirational Others

3.8  

Rekha Singh

Inspirational Others

जहाँ पर बेटियाँ मुस्कुरातीं है।

जहाँ पर बेटियाँ मुस्कुरातीं है।

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बेटियाँ जब कदम जमाती हैं, 

गर्व से भारत का कद बढ़ाती हैं

उँगलियों पर कंप्यूटर की दुनिया,

और ओलंपिक में पदक जीत लातीं हैं, 

 

रुको, अकेली कहाँ जाओगी ?

ये काम तो तुम कभी नहीं कर पाओगी,

पीछे से कुछ आवाजें आती हैं,

तब सरस्वती की प्रिय पुत्री,

दुर्गा का प्रतिरूप बन जाती हैं,

छोड़ कर घर की चौखट,

आसमान के जहाज़ उड़ाती हैं,

अक्षरों से पूछ लेती हैं, हर शब्द का पता,

उँगलियों से भी कलम को, लिखना सिखातीं हैं,

जीवन के हर गणित को, लड़-लड़ के जीततीं हैं,

हर जीत की मंजिल भी वे खुद ही बनातीं हैं,

विकसित कहलाता है वही देश,

जहाँ पर बेटियाँ मुस्कुरातीं है। 



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