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Rekha Singh

Inspirational

4  

Rekha Singh

Inspirational

संघर्ष

संघर्ष

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आज सुबह काफी ठंड़ थी ,

कोहरे ने पेड़ों का आश्रय लिया था ,

जमीन गीली सी थी,

हवा की गति भी बुलंद थी,

आगे वाले पैरों ने पीछे वाले पैरों को धक्का दिया ,

भाई चल न ,

क्या छुपा बैठा है ,

देख दूसरों का प्रयत्न,

जीवन जीने का यत्न, 

सभी तो लड़ रहें हैं ,

ठंड़ से झगड़ रहें हैं, 

तू ही कुछ रास्ता बना ,

गीली सी मिटटी में ,

पैरों को जमा ,

अभी हाँथ चुपचाप सोया है,

कल रात की नींद में ही खोया है,

बालों और आँखों से तो उठा ही नहीं जाता,

कोई क्यों नहीं समझाता ?

अभी सूरज आएगा,

तुम्हारा दर्द मिट जाएगा,

सूर्य यानि भरोसा ,

सूर्य यानि सच,

तब तक के लिए ,

जिन्दा तो रहो, 

अपने मन से कहो ,

बस एक कदम और ,

बस एक कदम और । 

 


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