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Arunima Bahadur

Inspirational

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Arunima Bahadur

Inspirational

जगा दो मेरा देश

जगा दो मेरा देश

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हे परमात्मा, जगा दो आज मेरा देश,

हो सबका कुछ ऐसा वेष।

स्वतंत्र जहाँ विचार हो,

खुशियों का संसार हो।


सब कर्म प्रधान हो,

संस्कार जहाँ पर शान हो।

नारी का सम्मान हो,

जन जन का कल्याण हो।


उठे कदम तो राह बने,

संकल्प से सब खिले खिले।

हौसले बुलंद हो,

राग द्वैष सब बंद हो।


हार जो सकते नहीं,

सेनानी हम बने वही।

विश्व एक परिवार हो,

सुमति जहा पर ढाल हो।


झुके जहा सम्मान से,

प्रेम से, सम्मान से।

लक्ष्य भेदने में ससक्त हो,

गुणों से भरपूर हर मस्तक हो।


जीतना जहाँ पर शान हो,

पर न कोई अभिमान हो।

हार कर भी जीत हो,

जीवन का यह संगीत हो।


बनाये सदा धरा की शान,

हरितमा से सुशोभित प्राण।

गीता जहाँ हर जन की शोभा,

जीवन जीना इससे सीखा।


परिवार संस्कारों की नींव हो,

प्रेम से अभिसिंचित हर जीव हो।

नर नारी का समभाव हो,

अपनत्व जहाँ बेहिसाब हो।


अमूल्यता जीवन की पहचान हो,

देना जहा पर शान हो।

जाग जाए मेरा देश ऐसा,

अपराधों का जहा न निशान हो।


उत्तम चरित्र ही शान हो,

त्याग हो बलिदान हो।

सेवा भाव प्रधान हो,

संस्कृति का उत्थान हो।


देश सम्मान का भाव हो,

प्रेम का न अभाव हो।

मातृभूमि पर बलिदान हो,

हर कर्म कुछ खास हो।


न कही अवसाद हो,

सुमति जहाँ पर साज हो।

तन मन ही साज हो,

दुख हरने के भाव हो,

सुख जहा बेहिसाब हो।


हम जागे तो देश जागे,

भाव ये हो सबसे आगे।


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