STORYMIRROR

Ritu asooja

Drama

3  

Ritu asooja

Drama

जेब फटी थी मेरी

जेब फटी थी मेरी

1 min
192

त्योहारों का मौसम

बाजारों की रौनकें खास

सजे ठेले, चमचमाई दुकानें

पूजा-अर्चना,जप-तप, नियम


त्यौहारों की धूम

मौज मस्ती के दिन

पकवानों, मिष्ठानों और

उपहारों का आदान-प्रदान


त्यौहारों की खरीददारी को

मैंने भी उठाया थैला

छल दिया बाज़ार में लेने उपहार

आकर्षक सामानों की धूम

मन रहा था झूम


मैंने भी जरूरत का बहुत सामान

उठाया और उसका बिल बनवाया

जब-जब में हाथ डाला निकालने को

पैसे होश उड़ गए मेरे


हाथ जेब से बाहर थे मेरे , जेब मेरी थी खाली

मेरा सिर चकराया जेब मेरी फटी थी

आज बहुत जग हंसाई हुई मेरी .....



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama