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Akanksha Gupta (Vedantika)

Inspirational

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Akanksha Gupta (Vedantika)

Inspirational

जब ठहर जाये जिंदगी

जब ठहर जाये जिंदगी

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किसी न किसी पल जब ठहर जाये जिंदगी,

मंजिल से बड़ी लगने लगे राह-ए बंदगी।


तो देखो उस टिमटिमाते हुए सितारे को,

चमचमाते हुए जा रहे हैं चाँद की ओर,

उसकी शीतलता के लिए।


किसी न किसी पल जब ठहर जाये जिंदगी,

मंजिल से बड़ी लगने लगे राह-ए बंदगी।


तो देखो उन बहती हुई नदियों को,

जा रही है सागर की ओर,

महासागर बनने के लिए।


किसी न किसी पल जब ठहर जाये जिंदगी,

मंजिल से बड़ी लगने लगे राह-ए बंदगी।


तो देखो उस उड़ती हुई मिट्टी को,

जा रही हैं चट्टान की ओर,

ऊँचा पर्वत बनने के लिए।


किसी न किसी पल जब ठहर जाये जिंदगी,

मंजिल से बड़ी लगने लगे राह-ए बंदगी।


तो देखो उन बहती हुई हवाओं को,

जा रही हैं बादलो संग तलैया की ओर,

छोटी बूंदों से नदी बनने के लिए।


किसी न किसी पल जब ठहर जाये जिंदगी,

मंजिल से बड़ी लगने लगे राह-ए बंदगी।


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