जागती रहना तुम
जागती रहना तुम
जागती रहना तुम
बरगद के पेड़ के पास,
फिर ठिकाना होगा अपना
संभल के रहना तुम,
उस बरगद के आंखों में
फिर एक सपना होगा ।
जागती रहना तुम
कि मैं फिर वहां आऊंगा
बूढ़े बरगद के पेड़ को
युवा बना हंसा जाऊंगा ।
जागती रहना तुम
अंधेरी रात में हमारी
मुलाकात होगी ..
जहां दुनियाभर का सन्नाटा होगा ।
जागती रहना तुम,
कि जहां ट्रैफिक का
शोर नहीं होगा ,
दिल में अनेक हॉर्न बजेंगी
पर सुनने वाला कोई नहीं होगा,
जहां एक्सीडेंट करना ही
जीवन होगा और बचना मौत ।
जागती रहना तुम,
कि बरगद के छांव में कई साये
खिलखिला रहे होंगे,
जीवन सबकी सो गई होगी
पर मौत के बाद सब जाग रहे होंगे ।
जागती रहना तुम,
कि कहीं इंतजार में
सांझ न हो जाए,
बूढ़ा बरगद सूरज के डूबते ही
अकेला फिर न तन्हा हो जाए ।
जागती रहना तुम,
कि आज फ़िर से सो न जाना
बरगद को आंसू देकर
फ़िर खो न जाना,
मैं कैसे बताऊँ तुम्हें,
मैं तुम्हारे पास ही हूँ,
बरगद को हंसाने के लिए
तुम्हारे साथ ही हूं ।
जागती रहना तुम,
फिर सामाजिक बंधन
की गोली लेकर सो न जाना,
यह बरगद कई जन्मों से
यूं ही हमारे साथ है
यह बुड्ढा नहीं हुआ, बस
जागती रहना तुम ।