भूख ! भूख !
जागती रहना तुम बरगद के पेड़ के पास, फिर ठिकाना होगा अपना संभल के रहना तुम, उस बरगद जागती रहना तुम बरगद के पेड़ के पास, फिर ठिकाना होगा अपना संभल के रहना त...
पेड़ों पर कोयलियां गाएँ, दिल हो जाता है अधीर। नई उमंग व जगे नई तरंग, बस में न रहता है पेड़ों पर कोयलियां गाएँ, दिल हो जाता है अधीर। नई उमंग व जगे नई तरंग, बस ...