जागो
जागो
उठो, जागो, देखो सबेरा हो रहा है,
न सोओ तब तलक, जब तक सबेरा सो रहा है,
स्वप्न की विभीषिका से निकल बाहर,
देखो, खुशियों का बसेरा हो रहा है
उठो, जागो, देखो सबेरा हो रहा है,
माना न सोये, बहुत रोये, सघन तम में,
सोख ली, जितनी भी थी, अगन तम में,
नहीं झाँका कभी, मन में अंधेरा हो रहा है
उठो, जागो, देखो सबेरा हो रहा है,
कहाँ खो आये हो, वो ललक,
देखने को, निष्ठुर सबेरे की इक झलक,
देखते, क्या सोचते हो, सघन तम को अपलक,
अरे दौड़ो, पकड़ो, न जाने दो,
सबेरा खो रहा है
उठो, जागो, देखो सबेरा हो रहा है।