जागो माटी के लाल
जागो माटी के लाल


जागो मिट्टी के लाल,
मै तुम्हे जगाने आई हूँ,
सीमा की बलिवेदी पर
आज खड़ी मै शीश मांगने आई हूँ.......
देखो कलियुग के रावण ने
फिर से लक्ष्मण- रेखा लांघी है,
देखो शिशुपाल सीमा पर
आज फिर ललकार रहा
चीनी जयद्रथ हाहाकार मचा रहा
हिरण्यकश्यप बन चप्पा चप्पा सूंघ रहा ,
चलो मिट्टी के लाल, मै तुमको याद दिलाने आई हूँ,
सीमा की बलिवेदी पर
आज खड़ी शीश मांगने आई हूँ.....
याद करो राम का तरकश तीर कमाना,
ना भूलो श्याम का सुदर्शन चक्र गतिमना,
फिर से अर्जुन के प्रत्यंचा की टंकार मचे,
फिर से नरसिंहा जागे
कंपन खंब दीवार मचे,
उठो माटी की लालनाओ,
मै मोहनिद्रा से तुम्हे जगाने आई हूँ,
जौहर की बेदी पर
आज खड़ी मै रण जौहर मांगने आई हूँ....
देखो दुश्मन फिर से दूरी नाप रहा
निशाचर महिसासुर सीमा पर घूम रहा
खिलजी का मन फिर भारत पर भरमाया
फिर से अकबर ने फन फैलाया है,
चलो माटी की लालनाओ
मै तुमको रणपथ का पथ बतलाने आई हूँ
तोड़ो चूड़ी, अब तो शमशीर की बारी है,
फेंको बेलन ,अब तो खडग खपर की बारी है,
तुम झाँसी की रानी हो,
तुम ही दुर्गा की रक़्त पिपासा,
अब ना पद्मिनी बन कोई जौहर करना है,
अब तो चाँदबीबी बन बस रण भेरी बजानी हैं,
उठो माटी की लालनाओ
मै तुमको कुलज्योत् से ज्वाला बनाने आई हूँ......।