जादूगर
जादूगर
तुम जादूगर ठहरे !
आंखों से जादू करते हो
जब भी देखते हो
उनमें खो जाती हूं
एक डोर है जादूभरी
जिसने बांधा है तुमसे
तुम्हारे प्रेम का जादू
यूं होता है मुझ पर
मैं फिरती हूं जोगन सी
तुम जब भी बुलाते हो
मैं दौडी़ चली आती हूं
तुम जब भी मुस्काते हो
मैं खूब खिलखिलाती हूं
तुम्हारी आंखों से निकली
हर एक बूंद को
मैं पीना चाहती हूं
जैसी पीती है कोई बैरागन
चरणामृत
इस जिंदगी का हर लम्हा
तुम्हारे साथ जीना चाहती हूं
तुम्हारी आंखों के शीशे में
जब -जब देखती हूं
खुद को और भी खूबसूरत पाती हूं
मेरे कानों में हौले से
करते हो जब तुम
इश्क- ए- इजहार
मेरी धमनियों में बढ़ जाता है
रक्त का प्रवाह
धड़कनें थोडा़ और तेज हो जाती हैं
गुनगुनाती हैं तुम्हारा नाम
बजता है एक मधुर संगीत
और उस संगीत की धुन पर
नाचते हैं हम दोनों
तुम्हारे प्रेम का जादू यूं चढ़ता है
कि बन जाता है आराधना
और तुम मेरे ईश
मैं पहुंच चुकी हूं
प्रेम की अंतिम बिंदु तक
मैं तुम हो चुकी हूं
प्रेम के इस चरम पर पहुंचते ही
हमारी आंखों से निकलती है
एक अद्भुत चमक
फिर तुम्हारा प्रेम मुझमें
मेरी इबादत तुममें
यूं एकाकार होती है
जैसे आत्मा परमात्मा में।