इश्क़ की आग
इश्क़ की आग
तेरे बाग़ में कोई और फूल भी खिला होगा,
इश्क़ के आग में कोई और भी जला होगा,
मेरे जैसे की तलाश करती रह जाओगी तुम,
मुझे है मालूम मेरे जैसा न कोई मिला होगा।
और कितनी आवाज़े तेरी कानो से गुज़रे होंगे,
जब गैंर के संग तेरी शादी का बात चला होगा,
मुझको है मालूम तेरे आँखों में भी आंसू होंगे,
मगर सोचो उन आँसुओ से किसका भला होगा,
मुझको है मालूम तेरे मन भी बहुत मलाल होंगे,
नहीं मालूम तो कब रस्सी से बंधा मेरा गला होगा,
जिसको तुम मिल रही हो ये उसकी किस्मत है,
सोचता हूँ की वो शख्स आंखिर कैसा बला होगा,
सुबह तो जल्दी निकल आया था ये सूरज आज,
सोचता हूँ की मेरे महबूब का शाम कैसे ढला होगा,
ये जन्म तो अब उसकी यादों में गुजरेगा करण,
सोचता हूँ क्या अगले जन्म भी ये सिलशीला होगा।
तेरे बाग़ में कोई और फूल भी खिला होगा,
इश्क़ के आग में कोई और भी जला होगा।