मेरे मौला
मेरे मौला
कभी देख मुझको फिर कर मेरा फैसला मेरे मौला,
कुछ बचा ही नहीं तो क्यूँ रखूं मैं हौसला मेरे मौला,
काट दिया क्यूँ किसी ने एक और सज़र जंगल से,
उसपर बसा था एक परिंदे का घोंसला मेरा मौला।
तेरी बनाई दुनिया में क्यूँ कोई भी तुझसा नहीं है,
इंसानों ने ही तो इंसा को दिया है जला मेरे मौला।
तौहीन कर रहा है मेरा महबूब मेरी मोहब्बत का,
इश्क़ की हद तू जानता है उसे समझा मेरे मौला,
ज़मी पर आकर पूछ की कैसा है तेरा बंदा यहाँ,
कभी तो मेरे कंधे को थोड़ा सहला मेरे मौला।
जब से हारा हूँ अपनी मोहब्बत अँधेरे में बैठा हूँ,
कभी हाथ पकड़ और दिखा उज़ाला मेरे मौला।
इतने रंग है धरती पर या कहूँ रंगीला है ये धरती,
पर जुबां क्यूँ रखते है यहाँ सब काला मेरे मौला।
कभी देख मुझको फिर कर मेरा फैसला मेरे मौला,
कुछ बचा ही नहीं तो क्यूँ रखूं मैं हौसला मेरे मौला।
