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Sajida Akram

Romance

3  

Sajida Akram

Romance

"इश्क़ "

"इश्क़ "

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अब्बा का अख़बार

उठा कर पढ़ना,

अम्मी का झट से चाय बनाने

रख देना भी, इश्क़ था,


यूँ ही छोटी-छोटी सी,

ज़रूरतों का ख़्याल रखना

जैसे ही आज़ान का होना,

अब्बा के लिए वूज़ु का

अस्तावा भरकर रखने देना,


अब्बा का खाने के वक़्त की

आमद पर चुल्हे पर तवा,

चढ़ा कर गर्म- गर्म चपाती,

सेंक देना, भी इश्क़ था।


इश्क़ का कोई पैमाना नहीं था,

पर इश्क़ अपनी हर अदा में

ज़ाहिर था।


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