इश्क और अश्क
इश्क और अश्क
इश्क और अश्क का है गहरा नाता।
कब इश्क अश्क में परिवर्तित हो जाता, पता भी नहीं चल पाता।
इश्क कामयाब हो, तो भी बिरह सहन नहीं कर पाता।
नाकामयाब इश्क का डंस तो हर समय ही है सताता।
जिसने इश्क को इबादत कर दिया।
नाम प्रभु के ही अपना हर पल कर दिया।
उसे मिलन बिछोह से क्या लेना देना
उसने तो अपने हर अश्क को सफल कर दिया।
परमात्मा की याद में बहे आंसूओं का हिसाब परमात्मा ही रखेगा।
उसके जैसा सच्चा प्यार किसी को भी भला कौन करेगा ?
जीने से पहले और मरने के बाद वह
रहता है सदा ही सबके साथ।
जीते जी भी हाथ उसने तुम्हारे सर पर जो रख दिया।
फिर दुनिया तुम्हारी अपनी है किसी से कैसा शिकवा और कैसा गिला ?
इश्क और अश्क का है चोली दामन का साथ
अब इश्क है किससे बस यही तो सोचने की है बात ?