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Shishpal Chiniya

Abstract

3  

Shishpal Chiniya

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इंतजार

इंतजार

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237


अब जाने धीरे - धीरे टूट रहा है सयंम मेरा ।

भूल रहा हूँ तुझे जैसे ख्याल ही न रहा तेरा ।

वक्त बदल रहा है मेरा तेरी तरह रंग रंग से ।

कितना काबू करूँ कभी टूटना चाहिए सयंम मेरा ।

न तेरा संदेश मिला , अभी तक न कोई तार मिला ।

हद तक करके इंतजार ,तेरा दिल मेरा लाचार मिला ।

अब कभी तो गुजरूँ की नहीं ,मैं अपनी हद से पार ।

हद की हद से दिल हर बार मेरा तार - तार मिला ।

अब सुबह भी कमाल , शाम भी लाजवाब है ।

वक्त का हर लम्हा मेरा बीतता बेमिसाल है ।

सवाल बहूत थे खुद से पूछने को तुझे पर ।

तुमने कभी पूछा ही नही ,

हर बार कहा आप लाजवाब हैं।

खैर तुम खुश रहना , हम दुआ करते हैं ।

हर लम्हे हर पल , फिर भी तेरे हुआ करते हैं।

कभी याद आ जाऊँ गुस्ताखी से तुम्हे तो ,

याद न करना मुझे , ये हम दुआ करते हैं ।



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