इंसान के वेश में भगवान
इंसान के वेश में भगवान
सलाम है जज़्बे को
सलाम है होंसले को
उड़ रहे है तेज हवाओं में भी
छोड़कर अपने घोंसले को
परवाह नहीं है खुद की
फ़िक्र है इंसानियत की
लड़ रहे है जी जान से
अनजाने शैतान से
कदम से कदम मिला कर खड़े है
होंसले इनके पर्वतों से भी बड़े है
दिल में जोश बना कर खड़े है
हारेंगे नहीं इस जिद पर अड़े है
मानों सब इनका अहसान
इंसान के वेश में है भगवान
कोई सफ़ेद, कोई खाखी में है
लगे हुए इंसा की राखी में है
अब तो इनका कहना मान
जीना है जो ओ इंसान
माना दुश्मन है बलवान
जीतेंगे दिल में निश्चय ठान।