इंसान के वेश में भगवान
इंसान के वेश में भगवान
1 min
268
सलाम है जज़्बे को
सलाम है होंसले को
उड़ रहे है तेज हवाओं में भी
छोड़कर अपने घोंसले को
परवाह नहीं है खुद की
फ़िक्र है इंसानियत की
लड़ रहे है जी जान से
अनजाने शैतान से
कदम से कदम मिला कर खड़े है
होंसले इनके पर्वतों से भी बड़े है
दिल में जोश बना कर खड़े है
हारेंगे नहीं इस जिद पर अड़े है
मानों सब इनका अहसान
इंसान के वेश में है भगवान
कोई सफ़ेद, कोई खाखी में है
लगे हुए इंसा की राखी में है
अब तो इनका कहना मान
जीना है जो ओ इंसान
माना दुश्मन है बलवान
जीतेंगे दिल में निश्चय ठान।