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Sanjay Jain

Abstract

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Sanjay Jain

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इंसान का इंसान से।

इंसान का इंसान से।

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इंसान का इंसान से है 

क्या अब भाई चारा ।

बता दो लोगो यहां पर।

पूछ रहे है हर जन जन।।

इंसान का इंसान.......।


कितनी सादगी और स्नेह प्यार से, 

हिल मिलकर रहते आये।

नहीं रखा कोई भी बैरभाव हमने अपने दिलों में ।

क्योंकि खाया है अन्य

हम सब ने भारत मां का।

फिर क्यो लड़ेंगे अपास में....।

इंसान का इंसान.....।


कितनी सदियां बीती गई,

और कितनी अभी बिताना है।

धर्म संस्कृति को आज तक,

कोई हमारी छू न सका है।

इसलिए पूरे विश्व मे 

भारत देश है न्यारा।

इसलिए हर कोई करता है जय जय कारा।।

इंसान का इंसान......।।



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