इंद्रधनुष
इंद्रधनुष
बूँद बूँद जब बरसे,नव निर्माण है तू लाया,
पूरे आसमान में छाके, नवसर्जन का एहसास दिलाया ।
एक ओर होता तू शुरू, न जाने कहा खत्म,
बच्चे भी बोल उठे, वो देखो इंद्र-धनुष।
मंत्रमुग्ध तेरे सोन्दर्य से, सात रंगों का तू राजा,
उदासीन भी छीन जाए, हर कोई तुझे देख मुस्कुराता।
तू आता सिर्फ बरसात में, रंगहीन ज़िन्दगी रंगीन कर जाता,
कितने धन्य है हम, हर बार बुलाते और तू हर बार चला आता।
कितनी कृपा है तुझे पे, दो देवों ने तुझे है बनाया,
जिसने इस संसार को बनाया,उसका भी ना तू पराया।
हे सूर्य, हे वरुन, तुझे मेरा शत शत नमन,
तूने क्या अनोखा चित्र बनाया।
कुछ देर तू दिखता, फिर हो जाता कहीं ओझल,
हे इंद्रधनुष, तुम्हें नमन है, हमें हुए आपके दर्शन।