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sargam Bhatt

Abstract

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sargam Bhatt

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ईश्वर

ईश्वर

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रब को देखो जोड़ी बनाए जा रहे हैं,

जो बनें हैं उनको मिलाए जा रहे हैं।


जिस को छोड़ दिया गया काली कलूटी कहकर,

उसको भी गुणों से सजाए जा रहे हैं।


जो कमजोर बन गई हैं अपने आप से,

उनके लिए वक्त सा जवाब बनाए जा रहे हैं। 


जो दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है,

उनके लिए हिसाब बनाए जा रहे हैं।


जो बच्चे अनाथ हैं उनका कोई नहीं

उनके लिए बांझ बनाए जा रहे हैं।


उन बांझो की गोद भरने के लिए,

लावारिस बच्चों को जन्माए जा रहे हैं।



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