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Deepu Bela

Abstract

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Deepu Bela

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ईश्वर की खोज

ईश्वर की खोज

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मैं था इंसान बड़ा ही नादान

कैसे ना मिलेंगे भगवान

निकला खोजने उस ख़ुदा को।

मंदिर में भी गया मैं

मस्जिद में भी गया

चर्च और गुरुद्वारे में भी

देख लिया

भटक आया हर गली

हर शहर

पर कहीं नहीं मिले वो

परमात्मा।


मंदिर में जाके देखा लोगो को

हाथ फैलाते

तो मस्जिद में झोली फैलाते

हर जगह देखा सबको बस

कुछ ना कुछ मांगते।

ये इंसान भी अजीब है

माँगने चला है समंदर

और लेके खड़ा है बाल्टी।


चाहत आसमानों की है और

फैलाए बैठा है झोली।

ढूंढ ली पूरी दुनिया

पर कहीं ना मिले परमात्मा

जब हुआ मेरा अहम दूर

वो मिले मेरे ही अंदर

कितना नादान था मैं

जिसे खोज रहा था ये जहान में

वो तो बसा था मेरे ही जहेन में..!!



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