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Jiwan Sameer

Abstract

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Jiwan Sameer

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इच्छाशक्ति

इच्छाशक्ति

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अश्रुओं को गिराये

बादल उड़े जा रहे हैं 

तुुुम तक संदेशा मेरा

लिये जा रहे हैं 


हवाएं सनसनाती 

तमाश दिदिखा रही हैं 

तेरे जोश को येे आगे

बढ़ा रही हैं 


लहरों की जम्हाइयां 

उम्मीदों को जगा रही हैं 

उमंगों के सागर में

तुम्हें गोते लगा रही हैं 


झरोखों से रिस कर

बूंदें ये टपका रही हैं 

तेरे हिय मेंं बर्फीली

राहत पहुंचा रही हैं 


आंंधियों मेंं जो दिये

जले जा रहे हैं

हौंसले के अधरों की

प्यास मिटा रही हैं 


कल-कल पल पल झरतेे ये निर्झर

सोई हुई तेरी प्रेरणा को

जगा रही हैं 


घटाओं को चीर कर 

ज्योति की रौ बही जा रही है 

वचन केे प्रभाव को 

तुुझमें भरी जा रही है 


धरती की हरियाली भी 

चहुंओर छाई हुई है 

तेरे ध्येय को पूरा करने की

कसमें खिला रही है 


ये भौरों की रुनझुनये पंछियों का कलरव

तुम्हें आगे बढनेे की यादेें दिला रही हैं 


न होना हतोत्साहित तुम 

स्वेद तन की बता रही हैं

कर्मपथ पर आये रुकावट

उसे बहा लिये जा रही हैं 


ये धुंध जो छाया है नयनों में 

धूप की किरनें उसे हटा रही हैं 

हवायें आंधियां झरोखे झरने कल-कल 

उत्साह तेरा बढा रही हैं। 



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