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Man Singh Negi

Abstract Fantasy Inspirational

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Man Singh Negi

Abstract Fantasy Inspirational

इच्छाएँ

इच्छाएँ

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इच्छाएं अनंत होती है। जब तक व्यक्ति जीवित रहता है। तब तक पल पल इच्छाएं जन्म लेती रहती है। 

यदि मैं कहूँं हर सांस पर नई इच्छा जन्म लेती है। इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। 

इच्छा पर आधारित एक मधुर गीत याद आ रहा है। 

सौ बार जन्म लेंगे सौ बार फनहा होंगे। अ जाने वफा फिर भी हम तुम से ना जुदा होंगे। 

पुष्पा जो रसोई में मेरे लिए चाय बना रही थी। वह चाय लेकर जैसे कमरे में आई। वह तुरंत ही बोली चाय पी लीजिए। 

मैंने कहा पीता हूँँ। रखो आप चाय मेज पर रखो।

उसने चाय मेज पर रखते ही पूछा मधुर गीत के माध्यम से आप क्या बताना चाहते हो। 

मैंने आश्चर्य से पूछा क्या। 

वह बोली हम तुमसे जुदा ना होंगे। मैंने कहा यू ही कुछ भी चलेगा। 

वह नाराज हो गई। मैंने कहा तुम रूठा ना करो मेरी जान निकल जाती है। 

वह बोली तेरे बिन हम रह नही पाते। तुम ना होते तो हम मर जाते। 

मैंने कहा अब आप ना चाहते हूँँए भी उस मुद्दे पर आई हो। 

जिसका मुझे था इंतजार। पुष्पा बोली वो क्या है। 

मैंने कहा प्रतिदिन के हिसाब से आज भी एक नया विचार मन में तरेंगे मार रहा है। 

पुष्पा ने कहा वह क्या है। मैंने कहा पल पल मन में इच्छाएं अपना रूप बदलती है। 

पुष्पा ने कहा अब क्या हूँँआ। 

मैंने कहा हूँँआ कुछ भी नही। बस मन की इच्छाओं की बात कर रहा हूँ। 

पुष्पा ने कहा अच्छा बताओ आज कौन सी इच्छा आपके मन में हिलोरे मार रही है। 

मैंने कहा पुष्पा आपने और देशवासियों ने देखा होगा। 

किस प्रकार राजनेता अपनी राजनीति को चमकाने में लगे रहते है। 

पुष्पा ने कहा ऐसा सुना है। 

मैंने कहा पुष्पा देश की सच्ची सेवा अपनी राजनीति चमकाने को नही कहते। 

पुष्पा ने पूछा सच्ची सेवा किसे कहते है। 

मैंने कहा सच्ची सेवा मानवता होती है। सच्ची सेवा इंसानियत होती। सच्ची सेवा जन कल्याण होता है। 

पुष्पा ने पूछा कौन अपनी राजनीति को चमकाने का प्रयास करता है। 

मैंने कहा वे राजनेता अपनी राजनीति को चमकाने का प्रयास करते है। 

जो देशवासियों को मुफ्त की योजनाएं देते है। 

क्युकी मुझे याद है भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपयी ने कहा था। जनता को मुफ्त में कुछ भी नहीं देना चाहिए। 

पुष्पा ने पूछा क्यू। 

मैंने कहा इसका जवाब मैं कुछ देर में दूंगा। 

पहले आप यह जान ले देश की जनता को मुफ्त में शिक्षा स्वास्थ्य सेवाए और न्याय व्यवस्था मिलनी चाहिए। 

इसके अलावा जनता को मुफ्त में कुछ भी देने की आवश्यक्ता नहीं है।

यदि जनता को मुफ्त के बदले स्वरोजगार देने का चलन राजनेता द्वारा चला दिया जाय। 

तो जनता को आम के आम गुठलियों के दाम पर काम करने का आनंद मिलेगा। 

पुष्पा ने पूछा वो कैसे। 

मैंने कहा पुष्पा राज नेता को जन कल्याण में अधिकतर युवाओं को eco बस, ग्रामीण सेवा, ई रिक्शा, थ्री व्हीलर प्रदान कर उनसे हर महीने EMI लेनी चाहिए। 

जिससे एक बड़े युवा तबके को रोजगार मिले सके। 

वह अपना घर भी चलाने में समर्थ होगा। साथ साथ कुछ ही सालों में गाड़ी उसके नाम हो जाएगी। 

सरकार का कर्जा भी चुक जाएगा। बेरोजगारी पर लगाम लग जाएगी। 

बेरोजगारी चिल्लाने वालों के मुंह में ताला लग जाएगा। 

रोजगार करने वालो से भी देश की तरक्की में योगदान प्राप्त होगा। 

ऐसे ही देश में युवा युवती को फल एवं सब्जी विक्रेता बनने में सरकार आर्थिक योगदान दे।

उसके बदले में सरकार धीरे धीरे EMI के रूप में पैसा वसूल कर सकती है। 

यहा भी युवा स्वयं से रोजगार करने के लिए प्रेरित होगा। 

पुष्पा आपने जो प्रश्न ऊपर पूछा था। जिसमे मैंने आप से कहा बाद में बताऊंगा। 

उस प्रश्न के बदले में आपको यह समझा देना चाहता हूँँ। 

यदि जनता को मुफ्त में खाने की आदत पड़ जाएगी। वह नाकारा हो जाएगा। 

ना वह घर के लिए कुछ सोचेगा। ना ही वह देश के हित में कोई कार्य करेगा। 

मुफ्त की व्यवस्था से देश की अर्थव्यवस्था भी चरमरा जाएगी। 

इसलिए सरकार को देश में कोई भी युवा हो। उसे स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना चाहिए। 

मेरी योजनाओं पर yDi सरकार ध्यान दे। तो देश की खुशहाल अर्थव्यवस्था को कोई नहीं रोक सकता। 

पुष्पा ने कहा आपके मन में जिस इच्छा ने जन्म लिया है। 

वह देश और देशवासियों के लिए वरदान साबित हो सकता है। 

यदि देश के प्रधानमंत्री मेरी इस विशेष योजना पर ध्यान दे। 


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