लौट चले
लौट चले
आ अब लौट चलें जबकि यह हर कोई जानता है।एकबदीन ना चाहते हुए भी हमे लौटना होगा।
लौटने लौटने में फर्क होता है। आगे बढ़ना हर कोई चाहता है लेकिन आगे बढ़ जाने के पश्चात वापस लौट चलने के लिए कोई तैयार नहीं होता।यह जीवन का कड़वा सच है। अभी हम इस विषय में बात कर हो रहे थेहमारे ही एक मित्र रोहित ने कहा सच हमेशा कड़वा होता है।हमने कहा आप बिल्कुल सही कह रहे हो।रोहित सच हमेशा कड़वा होता है।
सच कुनीन की दवाई की तरह कड़वा होता है। सच कई व्यक्तियों के चेहरों से नकाब हटा देता है।
हम बात कर रहे थे आपस में बैठे मित्रों से कहीं से भी वापस लौटना बहुत ही कठिन कार्य होता है।हम बात कर रहे थे आपस में बैठे मित्र ख्वाहिशों के बाजार में आगे बढ़ जाना बहुत आसान है।परंतु वापस लौटना अत्यंत कठिन होता है।
हम बात कर रहे थे मायावी संसार में 99 के फेर में आगे बढ़ जाना बहुत ही आसान कार्य है। परंतु कभी भी मन नहीं करता वापस लौट जाने का इस मायावी संसार से।हम बात कर रहे थे अपनी उन तमाम इच्छाओं की जो एक पूरी होने के पश्चात दूसरी सामने आ खड़ी होती है।जहां से यह अंदाजा लगाना भी बहुत ही मुश्किल होता है। इन इच्छाओं के भ्रमित संसार से हमें वापस भी लौटना है।परंतु संसार में कुछ व्यक्ति ऐसे भी हैं
जिन्हें उम्र के किसी न किसी पड़ाव पर आकर एहसास होने लगता है।उन्हें अपने घर वापस भी लौटना है।जब उन्हें एहसास होने लगता है जन्म से लेकर अपनी उम्र के आखरी सांस से पहले घर वापस लौटना है।तब उनके जीवन का आध्यात्मिक सफर अपने आप शुरू हो जाता है।जिस व्यक्ति का उम्र के एक पड़ाव के पश्चात अध्यात्मिक सफर शुरू होता है।वह यह कड़वा सच दुनिया का वह कड़वा सच जान लेता है।घर वापसी का समय अब आ चुका है।
हमें समय अनुसार समय रहते घर वापसी का घर वापस लौट जाने की योजना बना लेनी चाहिए।
