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Man Singh Negi

Others

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वृंदावन से खाटू श्याम बाबा

वृंदावन से खाटू श्याम बाबा

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वृंदावन से खाटू श्याम बाबा

आज हमारा मन वृंदावन की कुंज गलियों से निकलकर जा पहुंचा खाटू श्याम के दरबार में जो श्याम विहार नजफगढ़ दिल्ली में स्थित है।

जब हमारा स्थानांतरण हुआ द्वारका शाखा से श्याम विहार नजफगढ शाखा में तब हमारे श्री राधे कृष्ण की कृपा से हमारे श्री मुख से जो चमत्कारी कल्याणकारी प्रभावशाली शब्द यूं ही निकल गए। 

आज राधे के भक्त को भगवान श्री कृष्ण की तरह द्वारका छोड़कर श्याम विहार जाना पड़ रहा है।

हालाकि हम द्वारका नहीं छोड़ना चाहते थे। 

परंतु भगवान राधे के कृष्ण की असीम कृपा और लीला को आज तक कौन समझ पाया है। 

बस निरंतर हमारे श्री मुख से यही निकल रहा था।

आज राधे के भक्तों को भगवान राधे कृष्ण की शरण में पुनः जाने का जो शुभ अवसर मिल रहा है।

वह नियति यानी भगवान राधे कृष्ण की असीम कृपा ही है

हम आप सभी भक्तों को यह बता दें। जीवन में न जाने भगवान राधे कृष्ण ने क्या क्या त्यागा है।

आज भगवान राधे कृष्ण ने समय-समय पर जो कुछ छोड़ा उसी के फल स्वरुप वह हम सबके आराध्य हैं। 

ना जाने कब से हमारा हृदय वृंदावन से वापस लौट कर राधे कृष्ण की उस प्रतिमा में रमा रहा। 

जहां अपार भीड़ के कारण हम अपने आराध्य मुरली वाले दीनदयाल सुदर्शन चक्र धारी रणछोड़ माखन चोर राधे प्रियतम काली कमबली वाला मधुसूदन सारथी पार्थ वृषभ ना जाने अनगिनत नामों से जाने वाला हमारे दिल की धड़कन हमारे दिल की पुकार कृष्ण के दर्शन में ही लीन हो गया।

वह दर्शन की लीनता हमें विवश कर रही थी। वह हमारे मिलन की प्यास को भड़का रही थी। 

हमारे मिलन की अग्नि इतनी तीव्र थी। जैसे गर्म तवे पर पड़ती बारिश की बूंदे भी उस मिलन की प्यास को कम नहीं कर पा रही थी। 

वृंदावन की वह प्यास हमें अपने आराध्य से मिलने के लिए बार-बार दस्तक दे रही थी।

चल चल वृंदावन को चल 

चल चल कृष्ण की पावन भूमि पर चल 

चल चल वृंदावन की रज को चल कर माथे पर तिलक कर 

चल चल जो बुझ कर भी बुझ ना पाई उस प्यास को राधे के कृष्ण की दर्शन कर बुझा ले 

चल चल वृंदावन की कुंज गलियों में चल 

जो आज भी राधे कृष्ण राधे कृष्ण का वास है।

चल चल हजारों लाखों करोड़ों अरबों भक्तों में से भगवान राधे कृष्ण ने तुम्हें चुना है। 

चल वृंदावन के उस वन की और चल जहां राधे कृष्ण आज भी हर रात्रि को रास रचाते हैं। 

चल चल वृंदावन की उस पावन भूमि पर चल जहां अरबों असंख्य भक्तों को लग्न लग जाती है राधे राधे नाम की।

चल चल वृंदावन कि उस पावन भूमि पर चल जहां हार्न नहीं राधे राधे का नाम हॉर्न स्वरूप चलता है।

चल चल वृंदावन की उस पावन भूमि पर चल जहां हमारे कठोर दांत एक बार नहीं 2 बार आते है। परंतु बुजुर्ग होने से पहले टूट जाते है। 

परंतु जिह्वा जन्म से मरण तक साथ रहती है।

क्योंकि वह नम्र होती है क्योंकि नम्रता ही उसका स्वभाव है। 

क्योंकि वृंदावन में जिह्वा ही एक मात्र साधन है। 

जो 24 घंटे भगवान राधे कृष्ण का जाप करती है।

राधे राधे राधे राधे राधे राधे 

ना जाने राधे कृष्ण से मिलने की प्यास कब और क्यों इतनी बढ़ गई कि आज दिनांक 8 नवंबर 2022 मंगलवार का दिन सुबह 7:00 बजे हमें साईं मंदिर के पास ई रिक्शा स्टैंड पर ले आई। 

जब हम उस ई-रिक्शा से कार्यालय पहुंचे तब हमारा मन मस्तिष्क और कदम पीछा करने लगे एक अज्ञात महिला का। 

जब हम उस महिला का पीछा करते करते उससे पूछ बैठे हमारा श्याम खाटू श्याम कहां रहता है। 

उस अज्ञात महिला ने बताया तुम्हारा खाटू श्याम तुम्हारा खाटू श्याम बाबा उस चौराहे से थोड़ा आगे जाकर रहता है।

उसके पश्चात हमारे कदम वास्तव में प्रकाश की गति से भी तेज चलते हुए खाटू श्याम बाबा के घर की तरफ दौड़े जा रहे थे। 

हे वृंदावन के स्वामी कृष्ण राधे कृष्ण आज वृंदावन से तेरे निमंत्रण पर नजफगढ़ स्थित दिल्ली के खाटू श्याम दरबार में अपनी दर्शन रूपी प्यास बुझाने आ गए।

ही खाटू श्याम बाबा तेरे चरणों में दीप जलाने आ गए।

हे खाटू श्याम बाबा तेरे मुख मंडल की आभा देखने आ गए। 

हे खाटू श्याम बाबा ये अंतर्मन की पवित्र आवाज थी। 

जिसके कारण आज सुबह सुबह 7:20 पर तेरे चरणों में शीश नवाया है। 

हे खाटू श्याम बाबा तेरे दरबार में घी का दीप जलाकर अपनी अंतरात्मा को प्रकाशित करने आ गए हे।

हे खाटू श्याम बाबा तेरे दरबार में आकर जो सुकून मिला है।

तेरे दरबार में आकर जो तुम्हारी कृपा मिली है।

तेरे दरबार में आकर राधे रानी की जो शरण मिली है। 

तेरे दरबार में आकर जो हमारी प्यास बुझी है।

उसके ही कारण आज हमारा जीवन सरल सरल सरल हो गया है।

उसी के कारण आज हमारा जीवन जन्म जन्मांतर के लिए धन्य हो गया।

यह यात्रा है वृंदावन से खाटू श्याम की जब भी प्यारा बाबा बुलाएगा तब तब ना दिन देखूंगा ना रात देखूंगा।

बाबा तेरे दरबार में दौड़ा चला आऊंगा। 

बाबा हारे का सहारा खाटू श्याम बाबा हमारा। 

वृंदावन को कृष्ण कहूं या खाटू का बाबा वृंदावन की रज कहूं या राधे रानी।

सब अपनी कृपा बनाए रखना सब का कल्याण बनाए रखना आज खाटू श्याम बाबा के पास आकर प्यास और बढ़ गई। 

हे राधे के कृष्ण हे राधे रानी हे खाटू श्याम बाबा तुमसे मिलने की। 

हे वृंदावन के स्वामी राधे कृष्ण खाटू के बाबा श्याम तेरी सदा ही जय।


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