हवाओं का रुख
हवाओं का रुख
वो हवाओं का रुख बदलना चाहते हैं,
अपनी खुशबू को भी हमसे दूर करना चाहते हैं,
ना जाने क्या खता हुई हमसे ,
वो हमसे दूर होना चाहते हैं,।
न जाने क्या कमी दिखी हम में,
छोड़ गई हमें गमों की मझधार में,
हमें तो एतबार था उन पर,
पर उन्हें तो प्यार ही नहीं दिखा हम में,।