हवा से बातें
हवा से बातें
आज कुछ ऐसा हुआ की,
हवा से बाते हो गई,
दिल में बहुत कुछ था उसके कहने को,
बातों ही बातों में बातें साफ हो गई,
वह भी परेशां थी मिलावट से,
दम उसका भी घुटता था इस बात से,
वह भी रूठी हुई थी इस समाज से,
परेशान सी रहती थी अपने आप से,
कोटिश जिंदगियों का बोझा था उसके कंधों पर,
जान कैसे बचेगी उसके बगैर,
इस बात का उसको भी था खयाल,
वृक्ष ही नहीं तो शुद्धि होगी कैसे,
इसी बात से चिंतित नजर आई मुझे,
अभी भी वक्त है संभल जाओ उसका कहना था,
करो वृक्षारोपण गर जीना है जी भर के जिंदगी।
