हवा-ए-सुबह।
हवा-ए-सुबह।
सुनिए तेरा ही ज़िक्र करें हवा-ए-सुबह मुझसे,
तेरे सौंदर्य का ज़िक्र करें हवा-ए-सुबह मुझसे।
आने से बहार आई कहें हवा-ए-सुबह मुझसे,
तेरे फूलों से बदन का ज़िक्र भी किया मुझसे।
तेरे लक्ष्मी से लक का ज़िक्र भी किया मुझसे,
तेरे पाँव रखते बहारें आएं ज़िक्र किया मुझसे।
मेरे मन-मंदिर की देवी होने का भी तो मुझसे,
तेरी बन्दगी करेंगे कहती हवा-ए-सुबह मुझसे।
मेरे भरोसे रहे ज़िक्र करें हवा-ए-सुबह मुझसे,
मेरे अमृत जो ज़िक्र करें हवा-ए-सुबह मुझसे।

