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Sumit. Malhotra

Abstract Romance Action

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Sumit. Malhotra

Abstract Romance Action

हवा-ए-सुबह।

हवा-ए-सुबह।

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सुनिए तेरा ही ज़िक्र करें हवा-ए-सुबह मुझसे, 

तेरे सौंदर्य का ज़िक्र करें हवा-ए-सुबह मुझसे।


आने से बहार आई कहें हवा-ए-सुबह मुझसे, 

तेरे फूलों से बदन का ज़िक्र भी किया मुझसे।

 

तेरे लक्ष्मी से लक का ज़िक्र भी किया मुझसे, 

तेरे पाँव रखते बहारें आएं ज़िक्र किया मुझसे।

 

मेरे मन-मंदिर की देवी होने का भी तो मुझसे, 

तेरी बन्दगी करेंगे कहती हवा-ए-सुबह मुझसे। 


मेरे भरोसे रहे ज़िक्र करें हवा-ए-सुबह मुझसे, 

मेरे अमृत जो ज़िक्र करें हवा-ए-सुबह मुझसे।


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