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Shishpal Chiniya

Abstract

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Shishpal Chiniya

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हत्यारे

हत्यारे

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दिनों पर उमड़ने वाली देशभक्ति

काश उमड़ने लगे दिलों पर।

नहीं है पायदान मुश्किलों के हम,

हो हर कदम मुश्किलों पर।


हर घर में लहरा़यें तिरंगा अगर ,

न पडे़ जरूरत किलो पर।

कधें से कधां मिले गर,

कदम से मिले हर क

दम हो मजिलों पर।


 ना बंदूक थी हाथ में ,

ना कभी दिखी तलवार।

फिर भी मंजूर मिली,

हत्या दिल की हर बार।


कमबख्त वतन के जज्बाती

जो ठहरे हम कि,

मौत के बाद दिल लगाना,

चाहा फिर एक बार।


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