हस्तलिखित खत
हस्तलिखित खत
कोई जमाना था जब
उनके हाथों से लिखे खत
हमें पढ़ने को मिलते थे।
उनके दिल के हाल
हमारे दिल के हाल से मिलते थे।
खत का एक एक शब्द
हाल ए दिल बयां करता था
उनकी खूबसूरत लिखावट से
दिल बाग बाग हुआ करता था
जितनी हसीन वो थीं
उससे भी हसीन थी उनकी लिखावट
हर अक्षर बड़ा ही
सलीके से जड़ा रहता था।
उस खत से उनके गोरे हाथों की
भीनी भीनी महक आती थी
जो हमें प्यार के सागर में
गहरे तक डुबो जाती थी
वो खत में बने लिपिस्टिक के निशान भी
क्या गजब ढ़ाते थे
अपने अधरों को उससे छुआ कर
स्वर्गिक आनंद पाते थे।
अब ना वो खत रहे और ना ही वक्त
मोबाइल ने सब छीन लिया
वो हस्तलिखित खत का इंतजार
जैसे कि पल पल दिल जी लिया।
आज फिर से खत लिखने की तमन्ना हुई है
वो सोयी सोयी सी दास्तां फिर से जवां हुई है।