"हरियाणवीं लोक गीत"
"हरियाणवीं लोक गीत"
निमब्वें तोड़न गई री बाग़ मैं,
माली के नै बईयाँ मरोड़ी री बाग़ मैं,
छोड़ दै रे माली के बईयाँ हमारी,
ससुरा सुनेगा गाली देगा री बाग़ मैं,
ससुर तेरे नै मैं हुक्का मँगवा दूँ,
फेर भी रँगीली गेड़ा लईयो री बाग़ मैं,
निमब्वें तोड़न गई री बाग़ मैं,
माली के नै बईयाँ मरोड़ी री बाग़ मैं,
छोड़ दै रे माली के बईयाँ हमारी,
जेठ सुनेगा गाली देगा री बाग़ मैं,
जेठ तेरे नै मैं सूट सिलवादूँ,
फेर भी रँगीली गेड़ा लईयो री बाग़ मैं,
निमब्वें तोड़न गई री बाग़ मैं,
माली के नै बईयाँ मरोड़ी री बाग़ मैं,
छोड़ दै रे माली के बईयाँ हमारी,
देवर सुनेगा गाली देगा री बाग़ मैं,
देवर तेरे नै मैं साईकिल लादूँ,
फेर भी रँगीली गेड़ा लईयो री बाग़ मैं,
निमब्वें तोड़न गई री बाग़ मैं,
माली के नै बईयाँ मरोड़ी री बाग़ मैं,
छोड़ दै रे माली के बईयाँ हमारी,
कैंथा सुनेगा गाली देगा री बाग़ मैं,
कैंथा तेरे नै मैं स्कूटर लादूँ,
फेर भी रँगीली गेड़ा लईयो री बाग़ मैं,
निमब्वें तोड़न गई री बाग़ मैं,
माली के नै बईयाँ मरोड़ी री बाग़ मैं,
"शकुन" छोड़ दै रे माली के बईयाँ हमारी!