हरि गोविंदम् बोल
हरि गोविंदम् बोल
मोह जगत सब मिथ्या माया,
श्याम नाम अनमोल।
राज महल धन सोना -चाँदी,
तज अवगुण गुण तोल।
सूर्य, चंद्रमा, जल, थल, हरि से,
हरि हर मोल अमोल।
सुन चंदन वन लता-वल्लरी,
खग-गण करत किलोल।
सफल बना ले नर जीवन को,
पट अंतस मन खोल।
पुष्प ! चरण - रज भाल सजा ले,
नाम अमिय रस घोल।
