Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

बिमल तिवारी "आत्मबोध"

Inspirational

4  

बिमल तिवारी "आत्मबोध"

Inspirational

हृदय आकाश सा

हृदय आकाश सा

2 mins
564



हृदय आकाश सा निर्मल विस्तृत

जिस पर इच्छाओं की परछाई

हृदय पाताल सा गहरा विस्मृत

जिसके अटल तल पर खाई-खाई,


कभी नदी सा कूदता नाचता 

कभी अरुण सा नभ पर उगता

फिर पल पल चढ़ता धीरे धीरे

और साँझ ढले करता उतराई

हृदय आकाश सा निर्मल विस्तृत

जिस पर इच्छाओं की परछाई,


कभी मल्लिका सा करता अट्टहास

और निशा नीरव में चंद्र विलास

कुसुम कली सा खुलता खिलता

तप सूर्य आभा से मुरझाई

हृदय आकाश सा निर्मल विस्तृत

जिस पर इच्छाओं की परछाई ,


क़भी किसी दीवार में दबता हैं

क़भी क़भी अंगार पे चलता है

मेरुतुंग शिखर के जैसे यह

अपना करता हैं सफ़र तन्हाई

हृदय आकाश सा निर्मल विस्तृत

जिस पर इच्छाओं की परछाई ,


खाकर चोट ना क़भी रोता हैं

कभी ना अपना धैर्य खोता हैं

आह वाह सिसकन धड़कन से

ना करता ग़ैरत मित मिताई

हृदय आकाश सा निर्मल विस्तृत

जिस पर इच्छाओं की परछाई ,


हृदय तल में ना होते सपने

बस लक्ष्य हृदय के होते अपनें

जिनको पूरा करने को हृदय

लगा देता हैं जोर आजमाइ(श)

हृदय आकाश सा निर्मल विस्तृत

जिस पर इच्छाओं की परछाई ,


हृदय जगत में अपना आधार

हृदय के एक, ना नैन हज़ार

दमन पीड़ा दुख दर्द सब लेकर

हृदय अपनें अंक में पिघलाई

हृदय आकाश सा निर्मल विस्तृत

जिस पर इच्छाओं की परछाई ,


छोड़कर दुनियां, सँग हृदय के

लक्ष्य पथ पर बस चले विनय से

राग द्वेष मन मलिन मिटा दे जो

देखों उस हृदय की प्रभुताई

हृदय आकाश सा निर्मल विस्तृत

जिस पर इच्छाओं की परछाई


हृदय पाताल सा गहरा विस्मृत

जिसके अटल तल पर खाई-खाई

हृदय आकाश सा निर्मल विस्तृत

जिस पर इच्छाओं की परछाई ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational