जीवन जियो खुल के
जीवन जियो खुल के
ना जाने यह जिंदगी मुझसे
क्या चाहती है
बस मुझ पर कुछ ख़ुशियाँ
बिखराना चाहती है
कहती है कि न दौड़ो
ऐशो आराम की चाहत में
कोशिश करो आंनदित
रहने की हर हालत में
लेकिन जो हम रोज की
जद्दोजहद में परेशान रहते हैं
तो फिर कैसे खुद को
सम्हाल सकते हैं
जीवन के अर्थ को समझना
इतना आसान नहीं
पर इसका मतलब तो
निराश परेशान होना भी नहीं
चिंता से कुछ भी नहीं होने वाला
यह सब को है पता
किन्तु सुख सुविधाएँ पाने की
चाह में खुद से ही लापता
इसका कारण भी काफी
हद तक बिल्कुल साफ है
इस स्थिति के हम लोग ही तो
स्वयं जिम्मेदार हैं
मेरा जीवन चलता रहे
मुझे इसी पर रहता ध्यान
क्या फर्क पड़ता है औरों को
नहीं लेना इसका मुझे ज्ञान
क्या हम नहीं एक दूसरे से
बात कर सकते
स्वयं से हटकर औरों का
ज्ञापन समझ सकते
यकीन मानो ये सब
इतना भी मुश्किल नहीं है
बस अपनी जड़ता को ही
स्वयं से दूर करना है
जीवन में हर जगह ख़ुशियाँ व
मुस्कान बिखराते रहो
कठिन ही सही पर
मुमकिन बनाकर चलते रहो
करो कोशिश जिंदगी को
हर पल और हर रोज जीने की
क्या होगा कल
यह सोच है बिल्कुल व्यर्थ की
मित्रों हम तो बस निरंतर
यूँ ही चलते जाएंगे
अपना ही नहीं दूसरों के
जीवन को भी सार्थक बनाएँगे
