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Dhvani Ameta

Inspirational

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Dhvani Ameta

Inspirational

हर युग में ही ज्ञान सुधा रस

हर युग में ही ज्ञान सुधा रस

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हर युग में ही ज्ञान सुधा रस जिसने जग को बाँटा हैं,

अखिल जगत की खाई को भी कर्मठता से पाटा हैं। 

तक्षशीला और नालंदा का यौवन भी अलबेला हैं, 

जिस मिट्टी का बालक शेरों की जबड़ों से खेला हैं।। 

जिसके ग्रंथों की भाषा ने जग को नई दिशा दी है, 

जिस मिट्टी का कण कण सोना हीरा ,मोती, चाँदी हैं। 

अजर अमर इतिहास हमारा सोने की चिड़िया हैं जी, 

जो आए अपना हो जाए जादू की पुड़िया हैं जी। । 

जीना मरना इसी भौम पर हम इस माँ के जाये हैं, 

हमसे जो टकराये हैं वो सब मुंह की खाये हैं। 

तो आओ इस परम्परा को फिर से हमें बढ़ाना है, 

विश्व गुरु इस आर्यावर्त को फिर से आज बनाना हैं।

जिस घर में भी संस्कारों की परिभाषाएँ जिंदा हैं, 

जिस मिट्टी का हर जनमानस कभी न करता निंदा हैं। 

काम, क्रोध से लोभ मोह से दूरी जो भी रखता हैं, 

वह मानव ही इस जीवन का मोल अदा कर सकता हैं। 

धर्म, अर्थ सा कर्म मोक्ष पर जिस घर में मंथन होगा, 

मान और मर्यादा वाला जहाँ मधुर बंधन होगा। 

उस घर में होगी कभी न चिंता होगा तो चिंतन होगा,

बच्चा बच्चा भी रघु नंदन या वासुनंदन होगा। 

नर सेवा, नारायण सेवा जिसने मन में धारा हैं, 

कर्मवीर बन बढ़ा चला वो कभी नहीं वो हारा हैं। 

जिस घर आंगन में तुलसी का एक पौधा पावन होगा, 

जिस घर में हिलमिल रिश्तों का नित अभिनंदन होगा। 

जिस घर में माता पिता का पूजन वंदन होगा, 

उस घर में काशी काबा मथुरा वृंदावन होगा।



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