हक़ीक़त का आईना!
हक़ीक़त का आईना!
तकदीर जब ज़िन्दगी
को हक़ीक़त का आईना
दिखा कर जाती है ;
फिर उसके लिखे सीधे
सीधे हर्फ़ भी ज़िन्दगी
को उलटे दिखाई देते है ;
और फिर उसे ना फूलों
के आस पास तितलियाँ
मंडराती दिखाई देती है ;
ना ही फूलों में रंग दिखाई
देता है और खुशबू तो मानो
फूलों का साथ कब का छोड़
चुकी मालूम पड़ता है !