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Preeti Sharma "ASEEM"

Abstract

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Preeti Sharma "ASEEM"

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हॉबी

हॉबी

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सबकी

अपनी -अपनी हॉबी थी 

खुशियों के लिए

 की सभी ने कॉपी थी


सबकी

अपनी -अपनी हॉबी थी

कोई नाचता था

कोई गाता था


कोई भाषण से

अपने समझाता था

कोई संगीत से

मन बहलाता था


कोई तस्वीरों में

सब कह जाता था

कोई शब्दों में

बसर कर जाता था 

खुद को ही

ग़ज़ल कर जाता था


सबकी

अपनी -अपनी हॉबी थी

खुशियों के लिए

की सभी ने कॉपी थी


सबकी

अपनी -अपनी हॉबी थी

कोई बातों -बातों में

 जीवन को खबर कर जाता था


 कोई व्यंजन बनाता था

स्वाद में खुशियां पा जाता था

सब मन

बहलाने के साधन थे

खुद को तलाशने -पाने

के साधन थे


एक हॉबी से

मन को खुश कर जाते थे

सुकून के साथ

दो घड़ी

सारी समस्याएं भूल 

हॉबी की लॉबी में खो जाते थे।


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