होली
होली


रंग रंग से लड़ रहे लेकर धर्म का नाम।
फागुन के आते ही घटने लगा गुमान।
गले, गले से मिल रहे।
मानो बिछड़ी जान।
रंगों से रंग, रंग रहे।
बढ़ा रहे स्वयं का मान।
चेहरे पर लकीर नहीं।
बस खुशियों का सामान।
क्रोध, दुख, शोक का हो रहा प्रस्थान।
होली ने दे दिया कितना सुखद समाधान।
प्रेम ने मिटा दिया अभिमान का मान।