होली की कुंडलियां
होली की कुंडलियां
होली में जले बुराई,खिले प्रेम का रंग।
बैर भाव सब भूल के,मिले सब इक संग।।
मिले सब इक संग,छूटे हँसी के फव्वारे
उड़े रंग गुलाल कहीं,कहीं फूटत गुब्बारे
कह 'सुधीर' कविराय,बोलो मीठी बोली
मस्ती का त्योहार है,रंगो की होती होली।