शिक्षक
शिक्षक


शिक्षक न केवल अक्षर ज्ञान कराते हैं
न ही जोड़-घटाव, गुणा-भाग सिखाते हैं
अक्षरों की रहस्यमय दुनिया के रास्ते
खोलकर भाषा अभिव्यक्ति बताते हैं
बल्कि शिक्षक सत्य की राह बताते हैं
न्याय, दया, परोपकार का पाठ पढ़ाते हैं
साहस, शौर्य, त्याग का मोल मोल बताते हैं
सच्चाई, ईमानदारी नैतिकता का घूंट पिलाते हैं
समाज के बने उपयोगी सदस्य कैसे
सामाजिक नियम का पालन कराते हैं
जीवन जीना है कैसे हम सबको ये
जीवन के उद्देश्य ही समझाते हैं
बन सके हम मानव से मानव कैसे
ये मानव को मानव ही बनाते हैं
शिक्षक पत्थर को तराश कर हीरा कर देते हैं
पारस है जिसको छू लें सोना कर देते हैं
ये शिष्यों में कमी निकाल कर खूबी भरते हैं
अनगढ़े पत्थर को संवार कर मूर्ति करते हैं
शिक्षक नही है भगवान इनका भगवान
से भी ऊंचा है स्थान
क्योंकि शिक्षक नहीं कराता है भगवान की पहचान।