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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

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हमसे दूर जाता हुआ पल

हमसे दूर जाता हुआ पल

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हमसे दूर जाता हुआ ये पल

अतीत तो बन ही रहा है

ये जो आ रहा है

वो भी जा रहा है

अतीत बनता हुआ।

इन आते जाते पलों का दर्शन

ध्यान से ही सम्भव है

और मुमकिन है यूँ

ही हम समझ सके

वर्तमान को।

लगता है काल ने अडॉप्ट

कर रखा है हमें,

इसे आने जाने की कहानी

कह लीजिए या

शुरुआत से अंत तक की कहानी।


ये जीवन की चलती हुई कहानी,

जितना सनातन,

उतना आधुनिक,

और इनके बीच में

ये ठहरा हुआ पल 

वर्तमान ही तो है

जितना अतीत है

उससे कम भविष्य नहीं।

कभी कभी लगता है

जीवन बहुत व्यस्त है

पर ये तो ठहरा हुआ है

इतिहास में

भविष्य में

और इसके होने का आभास ही

यथार्थ है

सत्य है।


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