हमारी सोच
हमारी सोच
हमें यह ज्ञात है,
आभास है
विचारों में विभेद
हो सकता है,
पर हर्ज क्या है
किसी की बात सुनने में ?
कहीं इस में छुपा
कोई राज हो सकता है !
कुछ आप लिखें,
कुछ हम लिखें
अच्छी चीजों को
सराहें ह्रदय से,
जो अटपटी लगे,
आहत करे,
अस्वीकार्य हो
उसे हम त्याग दें
अपने समय से !
