हमारी प्रेम परीक्षा
हमारी प्रेम परीक्षा
बहुत से लोगों के दिल में यह सवाल होता है कि अपने प्रेम परीक्षा दी या ली क्या।
तो मेरा जवाब है यह है की
जी हां प्रेम तो हमने बहुत किया है, प्रेम तो हमने बहुत पाया है।
मगर इस निस्वार्थ प्रेम में ना हमने कभी कोई परीक्षा ली है।
ना हमको कभी परीक्षा देनी पड़ी है।
क्योंकि वह जानते हैं कि हम उनको कितना प्रेम करते हैं।
और हम भी जानते हैं कि हम उनको कितना प्रेम करते हैं।
समय-समय पर वह प्रेम दिख ही जाता है।
तो फिर ना हमको अपने प्रियतम को
ना हमको कभी अपने प्यारे बच्चों को
इस परीक्षा को देने की जरूरत पड़ी
और ना ही लेने की जरूरत पड़ी कि हम तुमको कितना प्रेम करते हैं ।
और तुमको हमसे कितना प्रेम करते है
निस्वार्थ निःशब्द मौन प्रेम की यही तो खासियत है।
क्या कोई शब्दों के लेनदेन के बिना ही सब कुछ आंखों से ही नजर आ जाता है।
आपके व्यवहार से ही नजर आ जाता है।
जी हां इस मामले में हम बहुत खुशनसीब हैं
कि हमको चार पीढ़ियों का प्रेम मिल रहा है।
और हमको कोई परीक्षा ना देनी पड़ी है, ना लेनी पड़ी है।
तो है ना हम खुशनसीब।
ईश्वर के आशीर्वाद के साथ जो हमको हमेशा उनका साथ मिला है।
इसीलिए करते हैं हम ईश्वर को धन्यवाद कि उन्होंने हमको इतना प्यारा परिवार दिया।
इतने प्यारे लोग दिए, छोटे से बड़े तक सब।
56 जनों का यह परिवार जो खोलो तो है अलग-अलग सब।
किंतु एक आवाज पर सब है साथ एक बंद मुट्ठी कि जैसे सब।
ना कोई सवाल ना कोई जवाब।
ना कोई स्वार्थ बस हम हैं आपके साथ।
और हमें क्या चाहिए इतना प्रेम मिल गया।
यही हमारी जिंदगी की पूंजी है।
इसीलिए कहती है विमला हमने ना तो प्रेम में कभी कोई परीक्षा दी है।
और ना ही हमने कभी कोई परीक्षा नहीं है।
हमेशा सबसे निस्वार्थ प्रेम ही पाया है।
निस्वार्थ प्रेम ही किया है।
इस सब में मेरा परिवार मेरे दोस्त सब ही आ गए हैं।