हमारे पिता
हमारे पिता
नमन करूं कर जोड पिता को,
जिससे जीवन पाया है।
जन्म हेतु है पिता उसी का ,
हममे नूर समाया है ।।
लालन पालन पोषण करके ,
चलना मुझे सिखाया है।
कदम हुए जब डगमग उसने ,
मुझको आन बचाया है ।।
प्यार किया दुलराया देखा ,
दोष न मुझमे आने पाए ।
सदा प्रसन्न रहू मै मेरा ,
कुछ न अहित होने पाए ।।
सुख सुविधा सब देकर ,
उसने ज्ञानी मुझे बनाया ।
मेरे दुख मे दुखी देख वह ,
हंसता मुझको मुस्काया ।।
अपने जीवन की पूंजी को ,
दे पूंजी हमे बनाया ।
उसका भी हित रक्षण हो ,
जिससे यह जीवन पाया ।।