हमारे नौनिहाल कमाल हैं
हमारे नौनिहाल कमाल हैं
हमारे नौनिहाल
संभालते विरासत
सिंचित करते पौधे
वाकई हैं कमाल ,
इनकी बुद्धि को
कम मत आंकिए
इनकी उम्र पर ना जाकर
इनको अंदर से जानिए ,
ये हमारी सब बातें सुनते हैं
कुछ दिमाग में घुसा कर
कुछ दिल में संजोकर
बड़े प्यार से रखते हैं ,
इनको बच्चा समझने की
भूल कत्तई ना करना
ये गहरे कुएं हैं
सोचना भी मत करना इनकी थाह लेने की ,
ये ख़ुद ही चिंता करने लगे हैं
हमसे ज़्यादा अपने भविष्य की
ये सोकर नही बल्कि
जागकर सपने देखने लगे हैं ,
बचपन है तो बचपना भी है
पेड़ के नीचे दरी बिछाकर
अपने पालतू को ले सहेली के साथ
किताबें पढ़ने का अपना एक मज़ा भी है ।
