हमारे गुरु हमारा जीवन
हमारे गुरु हमारा जीवन
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वो मंदिर सा विद्यालय , वो देवता समान गुरुजन
वो खुला खुला मैदान, वो रंग बिरंगा आंगन।
वो श्यामपट्टी पर बनाना चित्र विचित्र,
वो दोस्तों की सुलझाना उलझन
वो एक छोले के डिब्बे पर पूरे गिरोह का करना आक्रमण।
परीक्षा की तैयारी के समय थके हुए हाथ सूझे हुए नयन
वो असफलता पर रोना, सफलता पर मनाना जश्न।
जहां से अर्जित किया ज्ञान, जहां से किया सफलता का आरोहण
बार बार याद आये मुझको अपना वो स्वर्णिम छात्र जीवन।